मनुष्य की सम्पन्नता या यंत्रो के गुलाम

मनुष्य की सम्पन्नता या यंत्रो के गुलाम
आधुनिक सभ्यता के मानदंड भी बड़े अदभुत है दिन-रात श्रम करके आप अर्थ उपार्जन करते हैं | संपन्नता आते ही सुख सुविधा के लिए अनेक साधन और यंत्र जताते हैं। यह मनुष्य की सम्पन्नता या यंत्रो के गुलाम है।
अपना इन यंत्रों पर आपकी मिल्कियत से दूसरों पर आपका रोव बढ़ता है, मिल्कियत के नाम पर आप अपने गुलाम बनकर रह जाते हैं | यंत्रों पर आपकी निर्भरता जियो जियो बढ़ती जाती है, त्यों त्यों आप भी यंत्र बन जाते हैं । आपके रिश्ते संबंध व्यवहार से मानवता लुप्त हो जाती है और यांत्रिकता बढ़ती जाती है ।
सुविधाएं कम और मुसीबत अधिक बढ़ती जाती है मुसीबतें कम करने के नाम पर आसानी से कोई भी आपको ब्लैकमेल कर सकता है। आप तो यंत्र बन ही गए हैं इसका अतः आपका आत्म गौरव स्वावलंबन आत्मविश्वास भी मिट चुका होता है।
आप केवल समझौता कर सकते हैं ब्लैकमेलर की तरह हरसंभव मांगे मानते रहना ही आपकी नियति बन जाता है, आप कोई भी यंत्र इसलिए खरीदते हैं ताकि आपकी सुविधाओं में वृद्धि हो, यंत्र आपका है यदि आपके यंत्र पर आपका ही नियंत्रण न हो तो कितनी शर्म की बात है परंतु होता प्रतिदिन यही है बिगड़े हुए यंत्रों को सुधारने वाले उनके निश्चित मैकेनिक्स इंजीनियर होते हैं। यंत्र सुधारने की उनकी अपनी शर्तें होती है नखरे होते हैं पारिश्रमिक होता है।
यह शरीर आपका है यह चाहे जब रिजेक्ट कर देने योग्य यंत्र नहीं है। यंत्र को सुख-दुख नहीं होता, शरीर को सुख-दुख होता है, शरीर को यंत्र मत बनाइए।
अपने शरीर का नियंत्रण मेकैनिज्म यदि आप दूसरों को सौंपेंगे तो आपका स्वामित्य, स्वतंत्रता गौरव सब नष्ट हो जाएगा।
मनुष्य की सम्पन्नता या यंत्रो के गुलाम
आप भी यंत्र बंद कर रह जाएंगे यंत्र को कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा अनुसार नाचा सकता है और आप भी नाचेंगे यही है गैर जिम्मेदाराना हरकत
अपना काम खुद ही करे।

मनुष्य की सम्पन्नता या यंत्रो के गुलाम
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