SCIENCE SAYS EXERCISE CAN COMBAT DEPRESSION

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विज्ञान कहता है, शारीरिक व्यायाम अवसाद या डिप्रेशन को मात दे सकता है ।

SCIENCE SAYS EXERCISE CAN COMBAT DEPRESSION

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हम सभी जानते हैं कि नियमित शारीरिक व्यायाम करने से शरीर और मन दोनों को ही फायदा होता है, अभी के नए शोधो में पता चला है शारीरिक व्यायाम अवसाद या डिप्रेशन में दवा से दुगना प्रभावी होता है अर्थात दवाई अगर लेते हैं डिप्रेशन के लिए तो कम प्रभावी होगा अगर हम शारीरिक व्यायाम करते हैं तो अधिक फायदेमंद होगा।  (पिक्सेल इमेज)

वैज्ञानिकों ने 218 अलग-अलग अध्ययन में पता किया है कि 14000 लोग जिनको अवसाद हो गया था उस व्यक्तियों पर दवाई और व्यायाम के विभिन्न रूपों का वर्गीकरण करने पर पाया गया कि वह व्यक्ति जो की एक सप्ताह में कम से कम दो या तीन बार व्यायाम करता है या जॉगिंग करता है या टहलता है उनके डिप्रेशन के लक्षणों में अधिक सुधार पाया गया।

डिप्रेशन में शारिरिक व्यायाम दवाई से ढाई गुना से भी अधिक प्रभावी है ।  इसलिए SCIENCE SAYS EXERCISE CAN COMBAT DEPRESSION

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जब हम नियमित शारीरिक व्यायाम या शारीरिक गतिविधियां करते हैं तो शरीर और एंडोफ्रीन और  न्यूरोट्रांसमीटर उत्पन्न करता है जिसे हम खुशी के हार्मोन भी कहते हैं . एंडोफ्रीन की उत्पत्ति से हमारे स्वास्थ्य सही होता है और तनाव कम होता है जिससे डिप्रेशन या अवसाद के लक्षण में कमी आती है।( पिक्सेल इमेज )

शारीरिक व्यायाम से सेरोटोनिन और डोपामिन रसायन भी उत्पन्न होता है जो हमारे मूड को नियंत्रित करता है आनंद की अनुभूति दिलाता है और हमारी जो भावनाएं हैं वह संतुष्ट होती है मस्तिष्क में इन रसायनों को बढाकर अपने मूड को सही रख सकते हैं और डिप्रेशन या अवसाद उदासी, निराशा, नेगेटिविटी ,को कम करने में मदद मिलती है।

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इसके आलावा शारीरिक व्यायाम अथवा गतिविधि में भाग लेने से हमारी  सामाजिक संपर्क भी बढ़ता है एवं भावनात्मक समर्थन लोगों से मिलता है अकेलेपन का एहसास नहीं होता है अतः शारीरिक व्यायाम जो है वह अवसाद डिप्रेशन जैसे मानसिक विकारों से निपटने में हमें मदद दिलाता है।

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इंटरनेशनल योग दिवस – 2024 : थाइरोइड बीमारी मैनेज करने के 7 आसन

इंटरनेशनल योग दिवस - 2024

इस इंटरनेशनल योग दिवस – 2024 पर हम बात करेंगे थाइरोइड बीमारी मैनेज करने के 7 आसन, थाइरोइड बीमारी से ग्रसित व्यक्ति के लिए हाइपोथायरायडिज्म एक ऐसी स्थिति है जब थाइरोइड ग्रंथि उचित मात्रा में thyriod हार्मोन्स उत्सर्जित नहीं करते है, जिसका निम्न लक्षण है :-

इंटरनेशनल योग दिवस - 2024

इंटरनेशनल योग दिवस – 2024

1 मोटापा 

2 थकान

३ वजन बढ़ना

4 ठण्ड को नहीं सह पाना यानि ज्यादा ठण्ड लगना

5 अवसाद 

इंटरनेशनल योग दिवस – 2024  पर थाइरोइड बीमारी मैनेज करने के 7 आसन  एवं प्राणायाम निम्न लिखित है  :-

1- अनुलोम विलोम और नाडी सोधन  :

2- उज्जई 

3- कपालभाति 

थाइरोइड हेतु निम्न आसान भी लाभकारी है  :-

1. सर्वांगासन :

२ हलासन

3 मतस्यासन

4 बालासन 

5 सवासन

6 सुखासन

7 भुजांगासन 

8 धनुरासन 

9 उष्ट्रासन 

 

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स्वस्थ्य ह्रदय के लिए 5 सिंपल योग

स्वस्थ्य ह्रदय के लिए 5 सिंपल योग

स्वस्थ्य ह्रदय के लिए 5 सिंपल योग

आज कल भाग दौर की जिंदगी में हम अपने स्वस्थ्य पर ध्यान ही नहीं दे पाते है  और ह्रदय से सम्बंधित कई समस्याओ से हमें झूझने पड़ते है, आप स्वस्थ्य ह्रदय के लिए 5 सिंपल योग , निम्न योग कर सकते है :-

1 सेतु बंध आसान : यह लेट कर करने योग्य असान है जिसमे आप ऊपर आकाश  देखते हुए योग मेट पर लेट जाये दोनों पैरो को एक फुट की दूरी पर रखे और हाथो को धरती पर टिकाते हुए अपने कमर को ऊंचा करने चाहिए, गर्दन जमीन पर टिकी रहेगी | इस आसन से हमारा ब्रीथिंग सिस्टम में सुधार होता है और ब्लड प्रेशर रेगुलेट करता है एवं ओवर आल हार्ट के लिए फायदेमंद है ।

स्वस्थ्य ह्रदय के लिए 5 सिंपल योग

स्वस्थ्य ह्रदय के लिए 5 सिंपल योग

भुजंगासन  : स्वस्थ्य ह्रदय के लिए 5 सिंपल योग के कड़ी में भुजंगासन दूसरा योग है जिसे आप कर सकते है, इस योग के लिए आप योगा मेट पर धरती देखते हुए लेट जाये दोनों पैरो के बीच में 1 से डेढ़ फुट का गैप रखे एवं जंघा को धरती पर सटे रहने दे और हथेली के बल पर अपने हेड और सीना को ऊपर उठाये जैसे सर्फ़ (भुजंग यानि साप) अपने फैन को उठता है |  इससे अपना स्ट्रेस कम होता है और ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है।

स्वस्थ्य ह्रदय के लिए 5 सिंपल योग

स्वस्थ्य ह्रदय के लिए 5 सिंपल योग

वृक्षासन : वृक्षासन में हम एक पैर पर खड़े होने का अभ्यास करते है । इससे न्यूरोमस्क्यूलर संधि का कोर्डिनेशन सही रहता है । आपके धैर्य को बढ़ता है एवं हार्ट से सम्बंधित रोगो में फायदेमंद होता है ।

स्वस्थ्य ह्रदय के लिए 5 सिंपल योग

स्वस्थ्य ह्रदय के लिए 5 सिंपल योग

4 अधोमुख स्वानासन  : इस आसन में आप योगा मेट पर निचे धरती को देखते हुए लेटे फिर दोनों हाथो और दोनों पैरो के बल अपने शरीर को ऊपर की ओर उठावे अपनी एड़ी जमीन पर टिकी रहे अपना शिर दोनों बाँहों के बीच में अपने दोनों पैर देखते हुए रहना चाहिए । इस आसन से अपने शरीर का ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है और यह आसन हमें ह्रदय रोग से बचाता है ।

स्वस्थ्य ह्रदय के लिए 5 सिंपल योग

स्वस्थ्य ह्रदय के लिए 5 सिंपल योग

5 मरजीरासन : इस आसन को बिल्ली आसन भी कहते है, अपने शरीर को बिल्ली के तरह बनाना और  दोनों हाथो और घुटनो के बल मेज बनाना और अपने शिर को ऊपर को उठाना , यह आसन हमारे स्ट्रेस को कम करता है और हार्ट में ब्लॉकेज बनने से रोकता है

स्वस्थ्य ह्रदय के लिए 5 सिंपल योग

स्वस्थ्य ह्रदय के लिए 5 सिंपल योग

इन सभी आसनों को करके हम अपनी स्ट्रेस और ह्रदय सम्बंधित समस्याओ से निजात पा सकते है ।

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Psychological Stress Mental health

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Adopt 8 Life Style habits to reduce Stress & its Effects Psychological Stress Mental health.

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1.  Regular Physical Activity : Weight gain is one of the effects  of stress. Draw a daily routine to do physical activity that you enjoy very well. It release endorphin and reduce stress & tension. It Could be Yoga, Aasan, Pranayam, Running, one our Walking etc.

2. Avoid Long time Sitting at one Place : Week immunity could be due to stress, to avoid it  practice deep work , It is associated with your work to finish it on time. Avoid long time sitting on one place it add to you more stress.

3. Adequate Sleeping :   Go to bed on time & get up in the early morning, minimum 7-8 hour sleeping. It supports  your sound health.

Psychological Stress Mental health

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4. Eat Balance Meal :Stress Could result in appetite or excess eating of meal. Ensure it to eat a balance meal that contains balance nutrients.  Avoid eating unhealthy processed food and drinks.

5. Avoid Unhealthy Habits :Stress puts your cardiovascular at risk to pump more blood in your body. This causes your blood pressure High. Quitting unhealthy habits like drinking alcohol & smoking prevent us from further harm.

6.Mindfulness : Stress  also contribute Anxiety depression and mood swings. Practice mindfulness technique like mindful walking, Meditation, Pranayam. It help you to reduce stress etc.

7. Minimize Screen time : Stress & Sleep can be Slippery & Slope. You may not sleep well because you are to stressed. The same cycle may repeat next Day. One of the way to avoid this is to minimise screen time. Do not keep scrolling when you cannot sleep.

Psychological Stress Mental health

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8. Try Journaling : Stress is one of the reason behind low sex drive. When you are highly stressed , sex is last thing on your mind. Journaling could serve you as a positive outlet for your thought & emotions.

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सेवा भारती का सर्वजातीय सामूहिक विवाह सम्मेलन 16 को

सर्वजातीय सामूहिक विवाह सम्मेलन

सेवा भारती का सर्वजातीय सामूहिक विवाह सम्मेलन 16 को

-15 समाजों के 45 जोड़े बंधेंगे परिणय सूत्र में सेवा भारती का सर्वजातीय सामूहिक विवाह सम्मेलन 16 को

जयपुर। सेवा भारती समिति, जयपुर का 13वां श्री राम जानकी सर्वजातीय सामूहिक विवाह सम्मेलन अंबावाड़ी स्थित आदर्श विद्या मंदिर में होगा। सेवा भारती समिति,राजस्थान के मंत्री गिरधारी लाल शर्मा की अध्यक्षता में आदर्श विद्या मंदिर में बैठक आयोजित कर कार्यकर्ताओं को दायित्वों को जिम्मेदारी सोपी गई।

सेवा भारती का सर्वजातीय सामूहिक विवाह सम्मेलन 16 कोसामूहिक विवाह सम्मेलन में 15 समाजों के 45 जोड़े परिणय सूत्र में बंधेंगे। इसमें 38 सजातीय और सात जोड़े अंतरजातीय है। विवाह स्थल पर आयोजन की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। खास बात यह है कि विवाह का आयोजन घर जैसे माहौल में होगा।

प्रचार प्रसार प्रमुख ऋतु चतुर्वेदी ने बताया कि 16 मई को सुबह साढ़े सात बजे सभी मेहमान और जोड़े विवाह स्थल पहुंच जाएंगे। अल्पाहार के बाद स्तंभ पूजन और प्रधान पूजा होगी। इसके बाद सियारामदास बाबा की बगीची से गाजेबाजे के साथ सामूहिक बारात निकासी होगी।

सभी दूल्हे अलग-अलग घोडिय़ों पर बैठकर विवाह स्थल पहुंचेंगे। यहां तोरण मारने की रस्म के बाद स्टेज पर वरमाला की रस्म होगी। इसके बाद अलग-अलग वेदियों पर पाणिग्रहण संस्कार होगा। प्रीतिभोज के बाद विदाई समारोह होगा।

सर्वजातीय सामूहिक विवाह सम्मेलन

सेवा भारती का सर्वजातीय सामूहिक विवाह सम्मेलन 16 को

श्रीराम जानकी सर्व जातीय सामूहिक विवाह सम्मेलन के संयोजक नवल बगडिय़ा, अध्यक्ष नागरमल अग्रवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. ओमप्रकाश भारती, मंत्री हनुमान सिंह भाटी, कोषाध्यक्ष हरि कृष्ण गोयल, सह संयोजक गिरधारी लाल शर्मा सहित अन्य सभी पदाधिकारी आयोजन की तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं।

उल्लेखनीय है कि सेवा भारती समिति राजस्थान ने सर्वजातीय सामूहिक विवाह सम्मेलन 2010 में भवानी मंडी में शुरू किया था। अब तक राजस्थान के 22 जिलों के 33 स्थानों पर 2375 जोड़ों का विवाह सम्पन्न कराया जा चुका है।

सेवा भारती समिति राजस्थान आर्थिक दृष्टि से पिछड़े, सामाजिक न्याय एवं पहचान से वंचित वर्गों के मध्य, विशेषतया नगरीय क्षेत्रों में अभावग्रस्त बस्तियों, ग्रामीण क्षेत्र में कार्य करने वाला एक गैर सरकारी संगठन हैं।

यह नगरीय झुग्गी-झोंपड़ी, बस्तियों में समाज कल्याण कार्यक्रम जैसे नि:शुल्क शिक्षा, नि:शुल्क, चिकित्सा, कौशल विकास प्रशिक्षण केन्द्रों, सामाजिक समरसता कार्यक्रमों में कार्यरत हैं।

इसलिए पड़ी सामूहिक करने की आवश्यकता:
सेवा भारती समिति,राजस्थान के मंत्री गिरधारी लाल शर्मा ने बताया कि आज जिस तरह से भडक़ीले विवाह समारोहों का चलन है, उन्हें देखते हुए बेटियों का विवाह एक चुनौती से कम नहीं होता।

इसीलिए कई परिवारों में लड़कियों को बोझ सदृश मान लिया जाता है और कहीं कहीं तो कोख में ही बच्ची को मार दिया जाता है। झाडिय़ों, नालों और अनाथालय के झूलों में भी अक्सर नवजात कन्याएं ही मिलती हैं। ये नवजातें गरीब ही नहीं संभ्रांत घरानों की भी होती हैं। कई बार पैसों की कमी के चलते लोग अपनी बेटियों का बेमेल विवाह कर देते हैं और कुछ अयोग्य वर से विवाह करने के बदले वर पक्ष से पैसे वसूलते हैं।

दूसरे शब्दों में कहा जाए तो वे बेटी बेच देते हैं। ऐसे में उस लडक़ी को अपनी ससुराल में कितना प्यार और सम्मान मिलता होगा इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। कई बार ऐसा भी होता है कि बेटी अच्छे घर में जाए इसके लिए माता पिता सामथ्र्य से बढक़र खर्च करते हैं इसके लिए वे कर्ज तक ले लेते हैं और फिर पूरी उम्र कर्ज उतारने में निकाल देते हैं।

ऐसे में सेवा भारती की यह पहल सभी समाजों और वर्गों के लिए वरदान साबित हो रही है। इन सम्मेलनों को गरीब या वंचित समाज से ही जोडक़र नहीं देखा जा रहा बल्कि पैसे वाले लोग भी इसे अपना रहे हैं। इससे गरीब अमीर का भेद तो मिट ही रहा है, सामाजिक समरसता की भावना भी बढ़ रही है।

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विश्व मातृभाषा दिवस

विश्व मातृभाषा दिवस

विश्व मातृभाषा दिवस 21 फरवरी, 2024

मातृभाषा – वात्सल्य की भाषा

शैशवावस्था में मानव जो प्रथम भाषा सीखता व बोलता है उसे उसकी मातृभाषा कहते हैं, जो माँ की ममता के स्नेह से परिपूर्ण होती है। विश्व मातृभाषा दिवस पर अपनी जननी के साथ हर क्षण को बांटना, सिखना और समझना एक बच्चा जिस भाषा से शुरू करता है, जीवन के प्रारंभ में संचार का यह प्राथमिक साधन मातृभाषा ही कहलाता है।

मनुष्य के जीवनकाल में सर्वप्रथम अपनी भावनाओं को शब्दों में पहचान देना मातृभाषा के द्वारा होती है।
हम जिससे वात्सल्य प्राप्त करते हैं उसे सम्मान स्वरूप् मां कहते हैं।

मातृभाषा का अस्तित्व देश, स्थान और संस्कृति के अनुसार बनता है, जो सम्पूर्ण विश्व में अलग-अलग परन्तु महत्वपूर्ण है। प्रत्येक व्यक्ति की पहचान जिस प्रकार उसके देश, वेश, नगर, परिवार व नाम से होती है वैसे ही भाषा बोली भी उसी पहचान का हिस्सा है।

भारत बहुभाषी देश है, अन्य विविधताओं की तरह भाषाओं की विविधता भी पर्याप्त है, भारत की सारी भाषाएं उन उच्च लोगों के लिए मातृभाषा है जिस अंचल में वे निवास करते हैं। क्योंकि हिंदी अधिकांश प्रान्तों में बोलचाल की भाषा है। हम केवल उसे ही मातृभाषा मान लेते हैं, जबकि हिन्दी तो मात्र सम्पूर्ण भारत की सम्पर्क भाषा है,

हमारे संविधान में कुल 22 भाषाओ को मान्यता है। यह भाषाएँ अपने भारत को सांस्कृतिक रूप से सुदृढ़. बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। संवाद, लेखन, पठन, अभिव्यक्ति, परम्पराएं , गीत, भजन, रीतिनीति व जीवन मूल्यों आदि अनेको रूप में मातृभाषा को सहेजा जाता रहा है।

मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा बालक के लिए सर्वाधिक ग्राह्य होती है। मानव संसार के किसी भी कोने का क्यों न हो परन्तु जब भी वह पीड़ा के क्षण में होता है तो उसके मुख से उसकी मातृभाषा में ही शब्द निकलता है। पीड़ा के उस असहनीय समय में मातृभाषा में भरी आवाज क्षणिक औषधि का भी अनुभव कराती है, माँ के सानिध्य सा।

मातृ भाषा शर्म नही मर्म है”

विश्व मातृभाषा दिवस पर  बहुत से लोग जो अपनी मातृभाषा को बोलना बन्द कर चुकें हैं, जिसका कहीं-कहीं कारण लज्जा, दिखावा भी होता है, उनको भी कोई गूढ़ विषय सहज सरल अपनी मातृभाषा में ही समझ आता है।

मातृभाषा में भावाभिव्यक्ति सरल और अधिक प्रभावी होती है। भावनाओं की निजता से यह निजभाषा भी कही जाती है। प्रत्येक व्यक्ति के धड़कते ह्रदय की पहचान है मातृभाषा। हम सभी को अपनी मातृभाषा की अनमोलता पर गर्व व अन्यों की मातृभाषा का सम्मान करना चाहिए।

कार्यशैली की भाषा और जीवन शैली की भाषा में अन्तर पहचान रखते हुए हमारे जीवन-व्यवहार में मातृभाषा, देशभक्ति, संस्कृति और समृद्धि का प्रतीक है। अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भी मातृभाषाओं के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। हम प्रतिदिन अपने घर परिवार की बोलचाल में मातृभाषा को चलायमान करें।

दिप्ती श्री

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रामलला की पोशाक

रामलला की पोशाक

प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला की पोशाक कर रही है जनमानस को मोहित

जयपुर। अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा तो हो गई, ‘रामलला’ अपनी सौम्य श्यामल छवि रूप में विराजमान भी हो गए है। लोगों के भीतर का उत्साह अब भी जस का तस बना हुआ है। पहले जहां प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई हरेक छोटी से छोटी जानकारी को लेकर उनमें जिज्ञासा देखी जा रही थी वहीं अब यह जिज्ञासा रामलला की पोशाक, गहने, भोग, आरती और दर्शन को लेकर बनी हुई है।

इन सब में भी रामलला की पोशाक सबसे अधिक मोहित कर रही है। रोज बदलती पोशाक देखकर भक्त आल्हादित हो रहे हैं। वे ये जानने में भी अधिक रूचिकर हैं, आखिरकार रामलला की पोशाक यानी उनका ‘ड्रेस डिजाइनर’ कौन है? किसने इस पीतांबरी वस्त्र का चयन किया? कहां पर इसे तैयार किया गया है?

करोड़ों रामभक्तों की नजरें प्रभु श्री राम के पीत स्वर्ण वस्त्रों पर टिकी और सोशल मीडिया व नेट के सर्च इंजन में लोगों ने अलग—अलग तरीकों से रामलला की पोशाक के बारे में जानकारी ली।

असल में अयोध्या में स्थापित रामलला की मूर्ति की पोशाक तैयार करने वाले डिजाइनर लखनऊ के मनीष त्रिपाठी है। जो स्वयं पोशाक बनाने के बाद अचंभित है। उन्होंने ये कभी नहीं सोचा था कि वे एक दिन प्रभु श्री राम के लिए पोशाक डिजाइन करेंगे। हालांकि उनके सामने ये सबसे बड़ी चुनौती भी रही। पोशाक सबसे अलग और एक राजवंशी घराने के राजकुमार की भव्यता की तरह लगे।

वे मानते हैं कि ”उन पर राम की ही कृपा हुई है, यही वजह रही कि वे उनके लिए इतनी सुंदर पोशाक डिजाइन कर सके हैं। साथ ही उन करोड़ों भारतीयों की आस्था और आशीर्वाद भी रहा जब वे उनके भरोसे पर खरे उतरे।”

काशी में तैयार हुआ ‘पीतांबरी’— रामलला की पोशाक

रामलला की पोशाक

रामलला की पोशाक

पोशाक बनाने के लिए जिस जरूरी पीले और लाल वस्त्र की आवश्यकता थी वो काशी में तैयार किया गया है। इसकी सबसे बड़ी बात ये हैं कि, इसे तैयार करने में रेशम के साथ ही सोने और चांदी के तार का उपयोग किया गया है।

इनके लिए भी बनाई ड्रेस— रामलला की पोशाक

मनीष त्रिपाठी ने रामलला की पोशाक बनाने से पहले इंडियन क्रिकेट टीम, भारतीय सुरक्षा बल और भारतीय सेना के बुलेट प्रूफ जैकेट का डिजाइन भी तैयार किया है।

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