Raksha Bandhan – Bhav Geet (रक्षा बंधन – भाव गीत) शुद्ध सात्विक प्रेम अपने, कार्य का आधार है 1

Raksha Bandhan – Bhav Geet भाव गीत – रक्षाबंधन
शुद्ध सात्विक प्रेम अपने, कार्य का आधार है ।
दिव्य ऐसे प्रेम में, ईश्वर स्वयं सकार है ।
प्रेम जो केवल समर्पण, भाव को ही जानता है।
और उसमें ही स्वयं की, धन्यता बस मानता है ।
राष्ट्र भर में स्नेह भरना, साधना का सार है ।।1।।
शुद्ध सात्विक ——————————-
Raksha Bandhan – Bhav Geet (रक्षा बंधन – भाव गीत)
भारत जननी ने किया, वात्सल्य से पालन हमारा ।
है कृपा इसकी मिला यह, प्राण तन जीवन हमारा ।
भक्ति से हम हो समर्पित, बस यही अधिकार है ।।2।।
शुद्ध सात्विक ——————————-
जाति , भाषा, प्रांत आदि, वर्ग भेदों को मिटाने।
दूर अर्थाभाव करने, तम अविद्या को हटाने ।
नित्य ज्योतिर्मय हमारा, हृदय स्नेहागार है ।।3।।
शुद्ध सात्विक ——————————-
कोटी आंखों से निरंतर, आज आंसू बह रहे हैं ।
आज अगणित बंधु भगनि, यातनाएं सह रहे हैं ।
दुख हर सुख दे सभी को, बस यही अधिकार है ।।4।।
शुद्ध सात्विक ——————————-
Raksha Bandhan – Bhav Geet (रक्षा बंधन – भाव गीत)

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