All posts by Ashok Kumar Sharma

श्री राम के चित्र

श्री राम के चित्र

श्री राम के चित्र ऊकेर कर भावुक हुए चित्रकार।

40 से अधिक कलाकारों ने बनाये श्री राम के चित्र।

श्री राम के चित्र

श्री राम के चित्र

जयपुर,राजस्थान ललित कला अकादमी व शुभ विचार संस्था द्वारा अकादमी की कला दिर्घा में भगवान श्री राम के जीवन चरित्र और उनके विभिन्न पहलुओं पर चित्र कार्यशाला का आयोजन किया गया,जिसमे में राजस्थान और जयपुर के 40 से अधिक सीनियर और युवा चित्रकारो ने भाग लिया|

श्री रामचंद्र के जीवन पहलूओ पर आधारित श्री राम के चित्र चित्रों को चित्रकारो चित्रित किया, जिसमें किसी ने अयोध्या को दिखाया किसी ने अयोध्या का राज तिलक करते हुए किसने राम के एक करुणा भाव को दिखाया इस तरह से अलग-अलग प्रकार से सभी कलाकारों ने अपनी दृष्टि विवेक राम के जीवन चरित्र उतरित करने की प्रयास किया।

श्री राम के चित्र

श्री राम के चित्र

भाग लेने कलाकारों में राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चित्रकार धर्मेंद्र राठोर,नीलू कंवरिया वंदना व्यास तृप्ति निर्वाण पूर्णिमा पंत बिंदु सलूजा सावित्री शर्मा, रेनू नावरिया, किरण राजे पूजा भारद्वाज,ज्योति चोरडिया रितु शर्मा मिंटू भारद्वाज प्रिया मारू,विभोर शर्मा,अंशुल राठौर अक्षरा माहेश्वरी रश्मि राजावत भूमिका सिंह श्रुति नैन रेखा अग्रवाल ऋतु माहवार सिमरन सोनी, शीला पुरोहित भावना मनीष आदि प्रमुख थे।

एकेडमी के सचिव डॉ रजनीश हर्ष और शुभ विचार के संस्थापक जीतेन्द्र शर्मा ने बताया कि शिविर में कलाकारों के मार्गदर्शन के लिए
वरिष्ठ कला साधक महावीर भारती संदीप सुबेंद् विनय शर्मा विनय त्रिवेदी|

संस्कार भारती के बनवारी लाल चतर राजस्थान विश्वविद्यालय ललित कला संकाय के डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद सरल बिहारी मंदिर महंत दीपक गोस्वामी सत्यजीत तालुकादर अमित राज गोयल निर्मला कुल्हारी भी पधारे इस कार्यशाला में जो चित्र चित्रित कैनवास के ऊपर हुए हैं उनकी की एग्जीबिशन जवाहरलाल केंद्र में ही लगाई जाएगी ।

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युवा भारत सम्मेलन -1

युवा भारत सम्मेलन

राष्ट्रीय युवा दिवस पर युवा भारत सम्मेलन का हुआ आयोजन

खैरथल |राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुटुंब प्रबोधन गतिविधि आयाम के द्वारा शुक्रवार को शहर की महावर धर्मशाला में स्वामी विवेकानंद की जयंती पर युवा भारत सम्मेलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया |

इस कार्यक्रम युवा भारत सम्मेलन के दौरान मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अलवर विभाग के विभाग कार्यवाह कैलाश कल्ला तथा मुख्य वक्ता विभाग के कुटुंब प्रबोधन संयोजक मुन्नालाल रहे |

मुख्य अतिथि कैलाश कल्ला ने बताया कि युवाओं को स्वामी जी के आदर्श को अपने जीवन में लाकर कार्य करना चाहिए तथा हिंदू समाज को संगठित कर भारत को उन्नत राष्ट्र बनाने में अपना योगदान देना चाहिए।

मुख्य वक्ता मुन्नालाल ने कहा कि युवाओं को भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में अपना योगदान देना चाहिए | युवाओं को अपने उज्जवल भविष्य की ओर ध्यान देना चाहिए | इस कार्यक्रम के दौरान जिला कुटुम्ब प्रबोधन संयोजक मुकेश गुप्ता सहित अनेक युवा कार्यकर्ता उपस्थित रहे |.

युवा भारत सम्मेलन

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राष्ट्रीय युवा दिवस 1

राष्ट्रीय युवा दिवस

राष्ट्रीय युवा दिवस

राष्ट्रीय युवा दिवस

राष्ट्रीय युवा दिवस

अधिवक्ता और शिक्षक का आचरण समाज के लिए सदैव अनुकरणीय: छाबा

राष्ट्रीय युवा दिवस

जयपुर। राष्ट्रीय युवा दिवस को अधिवक्ताओं के बीच अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद की ओर से सम्पूर्ण भारतवर्ष में युवा अधिवक्ता दिवस के तौर पर मनाया जा रहा है। इसी क्रम में अधिवक्ता परिषद् राजस्थान, जयपुर प्रान्त की उच्च न्यायालय इकाई, जयपुर की ओर से शुक्रवार को उच्च न्यायालय स्थित श्री सतीश चंद्र सभागार में युवा अधिवक्ता दिवस मनाया गया।

कार्यक्रम विषय वर्तमान परिपेक्ष्य में युवा अधिवक्ताओं की भूमिका एवं उनसे अपेक्षाएं पर कार्यक्रम अध्यक्ष बसन्त सिंह छाबा उपमहान्यायभिकर्ता भारत सरकार,ने कहा कि समाज में सदैव शिक्षक और अधिवक्ता का आचरण अनुकरणीय माना जाता है। इस पेशे के जुड़े व्यक्तियों पर अत्यधिक जिम्मेदारी बनती है कि वो अन्य से पहले स्वयम के प्रति अत्यधिक सजग रहे, वही मिथ्या कथन कहने से बचे और सदैव सत्य के मार्ग पर अडिग रहे,

मुख्य वक्ता माननीय न्यायाधिपति श्री अनूप कुमार ढंड ने बताया कि व्यक्ति विशेषकर वकालत के पेशे से जुड़ा व्यक्ति सदैव युवा ही रहता है, युवा अधिवक्ताओं को सबसे पहले न्यायालय में आचरण करना सीखना चाहिए, अपने द्वारा कहे जाने वाले शब्दों को बड़ी शालीनता से न्यायालय के समक्ष रखना आना चाहिए,

विशिष्ट अतिथि वरिष्ट अधिवक्ता श्री राजीव सुराणा ने बताया की मेरे पिता मेरे गुरु और मार्गदर्शक थे, उनकी कही बात का सदैव अनुसरण करता हूँ और युवाओं को भी कहूंगा कि वो काम के साथ शारीरिक स्वस्थता का भी ध्यान रखे स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ विचार और कर्मशीलता होती है।

राष्ट्रीय युवा दिवस

कार्यक्रम में अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद राजस्थान क्षेत्र के क्षेत्रीय मंत्री श्री कमल परसवाल व प्रान्त अध्यक्ष श्री नीरज बत्रा की गरिमामय उपस्थिति रही। अधिवक्ता परिषद का विषय परिचय माही यादव ने मंच संचालन उच्च न्यायालय इकाई के मंत्री राजेश चौधरी व इकाई अध्यक्ष विनोद गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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राष्ट्रीय युवा दिवस

राष्ट्रीय युवा दिवस

स्वदेशी जागरण मंच

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छः हजार से अधिक युवाओं ने निकाली युवा उद्यमिता रैली

स्वदेशी जागरण मंच

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स्वदेशी जागरण मंच

जयपुर 12 जनवरी। युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत जिनका जीवन चरित्र युवाओं के लिए प्रेरणादायक है, ऐसे युवा संत स्वामी विवेकानन्द की जयंती पर स्वाबलंबी भारत अभियान के अंतर्गत जयपुर में 54 शिक्षण संस्थाओं के छः हजार से अधिक छात्र छात्राओं ने अपने अपने क्षेत्र में युवा उद्यमिता रैली निकाल कर स्वावलंबन का संदेश युवाओं को दिया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और स्वामी जी की वाणी की प्रेरणा से स्वदेशी जागरण मंच के साथ 31 अन्य सामाजिक शैक्षिक आर्थिक संगठन मिलकर संपूर्ण देश में स्वावलंबी भारत अभियान चल रहे हैं इसका उद्देश्य युवाओं को स्वरोजगार की ओर प्रेरित करना है।

स्वामी विवेकानंद जी के अनुसार हमें ऐसी शिक्षा चाहिए जो युवाओं के चरित्र का निर्माण करें और उन्हें स्वावलंबी बनाएं इसी ध्येय के साथ युवा दिवस पर आयोजित उद्यमिता रैली में शहर के 32 स्कूल, 21 महाविद्यालय और एक प्रधानमंत्री कौशल केंद्र का सहभाग रहा।

युग प्रवर्तक स्वामी जी की जंयती पर आयोजित युवा उद्यमिता रैली में विद्यार्थियों ने जब बाजार जाएंगे सामान स्वदेशी लेंगे, हम सब ने ठाना है,भारत समृद्ध बनाना है, हर युवा ने ठाना है उद्यमिता को अपनाना है जैसे अनेक प्रकार के उदघोष रैली में लगाए।

सादर
रणजीत सिंह
महानगर प्रचार प्रमुख
9828206070

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नई शिक्षा नीति

नई शिक्षा नीति

नई शिक्षा नीति

नई शिक्षा नीति

नई शिक्षा नीति

नई शिक्षा नीति से राष्ट्र में नया वातावरण का निर्माण हो रहा है- दत्तात्रेय होसबोले

जयपुर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने नई शिक्षा नीति पर कहा कि  शिक्षा विवेक जाग्रत करती है। शिक्षा के महत्व को समझे। भारत की शिक्षा भारतीय केन्द्रित होनी चाहिए इसके लिए सभी को प्रयास करने होंगे। नई शिक्षा नीति से राष्ट्र में नया वातावरण का निर्माण हो रहा है। समाज में सकारात्मक परिवर्तन, चरित्र निर्माण और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों का हल भी भारतीय ज्ञान परम्पराओं से हो रहा है।

सरकार्यवाह होसबोले मंगलवार को अग्रवाल कॉलेज के सभागार में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा आयोजित शिक्षा में भारतीयता और व्यवस्था परिवर्तन विषयक प्रबुद्वजन गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि व्यक्ति जीवन की चुनौति का उत्तर भारतीय शिक्षा में है।

नई शिक्षा नीति से अनुकूल वातावरण बन रहा है। हम कह सकते हैं, ऐसा विश्वास नई पीढी में नई शिक्षा नीति पैदा कर रही है। इससे तैयार होने वाली प्रतिबद्ध पीढी मानव प्रेम की भावना समाज में विकसित करेगी जिससे विश्व में भारत मॉडल बन सकेगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा के संदर्भ में भारत विश्व की महान परंपराओं का वारिस है। दुर्भाग्य से स्वतंत्रता के पश्चात की पीढ़ी

इस महानता को समझने में स्वयं प्रयास नहीं कर पाई। इससे वंचित रखने का भरपूर प्रयास हुआ। उन्होंने कहा कि अब नई शिक्षा नीति से देश में नई उर्जा और नया वातावरण बनते हुए हम देख रहे हैं। देरी हो गई है, लेकिन हम दुरस्त हो गए।

इस (नई शिक्षा नीति ) अवसर पर न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल भाई कोठारी ने कहा कि शिक्षा में भारतीयता पर आज भी चितंन की आवश्यकता है। भारतीय दर्शन से भारतीय जीवन दृष्टि का निर्माण हुआ है। भारतीय मूल्य निर्मित हुए हैं। व्यवहार में भारतीय मूल्यों का आचरण करने वाले भारतीय संस्कृति के पर्याय बने हैं।

उन्होंने कहा कि भारत का ज्ञान समृद्ध है। योग भारतीय संस्कृति की देन है। योग को विश्व के अनेक देशों ने अपनाया है। आज दुनिया की सोच बदल रही है। दुनिया भारतीय शिक्षा की और अग्रसर है। देश दुनिया की चुनौतियों का समाधान भारतीय ज्ञान परम्पतरा में है। भारतीय ज्ञान परम्परा पर दुनिया में अनेक शोध व अनुसंधान हो रहे हैं।

नई शिक्षा नीति के लिए राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा है कि भारत की सनातन परम्परा विश्व के लिये प्रेरणा स्त्रोत है। भारतीय शिक्षा ने विश्व में राष्ट्र की पहचान बनाई है। शिक्षा बंधनों से मुक्त करती है। राष्ट्र के विकास का आधार शिक्षा है। शिक्षा में किये जा रहे सकारात्माक परिवर्तन देश में जनआंदोलन बने, इसके लिए सभी को सक्रिय भूमिका निभाने की आवश्याकता है।

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीतिमें नई तकनीक का समावेश होना चाहिए। भारतीयता के अनुरूप पाठ्यक्रम और शिक्षा पद्धती में परिवर्तन आज की आवश्यतकता है। इस कार्य में शिक्षकों का सहयोग जरूरी है।

उन्होंने कहा कि भारत के गौरवशाली इतिहास को युवा पीढी को समझाना होगा। दैनिक जीवन में शिक्षा की सार्थकता है। भारत से भारतीयता को समाप्त नहीं किया जा सकता। लोगों की दृढ इच्छा शक्ति के कारण भारतीय संस्कृति अटल रही है। देवनानी ने सभी के लिये समान शिक्षा की आवश्यकता प्रतिपादित करते हुए कहा कि स्वावलम्ब न और स्वानभिमान को जाग्रत करने वाली शिक्षा का प्रसार जरूरी है।

नई शिक्षा नीति के अवसर पर भारतीय विश्व विद्यालय संघ की महासचिव डॉ पंकज मित्तल ने कहां कि बच्चों के चरित्र निर्माण के लिये प्रयास करने होंगे। समाज को बढावा देने वाले शोध किये जाने की आवश्यकता है। वैदिक गणित भारतीय शिक्षा की देन है। समाज का विकास का दायित्व विश्व विद्यालयों पर है।

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नई शिक्षा नीति

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स्वामी विवेकानंद जयन्ती

स्वामी विवेकानंद जयन्ती

स्वामी विवेकानंद जयन्ती

स्वामी विवेकानंद जयन्ती

स्वामी विवेकानंद जयन्ती

राष्ट्रीय युवा दिवस विशेष: स्वामी विवेकानंद के राम

‘राम और सीता’ भारतीय राष्ट्र के आदर्श- स्वामी विवेकानंद (स्वामी विवेकानंद जयन्ती)

स्वामी विवेकानंद ने कहा था,”राम और सीता भारतीय राष्ट्र के आदर्श हैं। ‘राम… वीरता के युग के प्राचीन आदर्श सत्य और नैतिकता के अवतार आदर्श पुत्र, आदर्श पति, आदर्श पिता और सबसे बढ़कर, आदर्श राजा।’ है। स्वामी विवेकानंद जयन्ती पर इन पंक्तियों से सहज ही ये स्पष्ट होता है कि विवेकानंद की दृष्टि में राम और राम का चरित्र कैसा था।

उनका मानना था कि ‘जहां राम है, वहां काम नहीं है, जहां काम है, वहां राम नहीं है। रात और दिन कभी एक साथ नहीं रह सकते।’ इसी संबंध में प्राचीन ऋषियों की वाणी हमें उद्घोषित करती है, ‘यदि आप ईश्वर को प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको ‘काम-कांचन’ यानी वासना और अधिकार का त्याग करना होगा। आज पूरी दुनियां रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियां कर रही है।

22 जनवरी को पूरा विश्व इस भव्य एवं दिव्य समारोह का साक्षी बनेगा। ऐसे में स्वामी विवेकानंद का उक्त कथन सहज प्रासंगिकता हो जाता है।

राजस्थान से भी स्वामी विवेकानंद का गहरा संबंध रहा है। स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवनकाल में राजस्थान की तीन यात्राएं की थी। यह यात्राएं उनके जीवन के महत्वपूर्ण पड़ावों में सम्मिलित रही। यात्रा के समय स्वामी जी ने सीकर में ‘जीण माता’ के दर्शन भी किए।

चाहे वह नरेंद्र से विवेकानंद नाम मिलना हो या शिकागो सम्मलेन में धारण की गई राजस्थानी पगड़ी व भगवा पोशाक, उन्हें राजस्थान से ही प्राप्त हुए।

पहली बार विवेकानंद फरवरी 1891 में अलवर आए। अलवर में उन्हें श्री गुरु चरण नाम के एक डॉक्टर मिलें, जिन्होंने स्वामी जी के आग्रह पर उनके रहने की व्यवस्था की। जहां उनके व्याख्यान सुनने मौलवी साहब सहित स्थानीय लोग भी आते थे।

विवेकानंद जी से संवाद के बाद अलवर महाराजा मंगल सिंह का मूर्ति पूजा के प्रति दृष्टिकोण बदला व वे इसे मानने लगे। अलवर में जिस स्थान पर विवेकानंद जी ठहरे थे उसे एक केंद्र के रूप में विकसित किया गया है, जहां अनेक सेवा कार्य आज भी चल रहे हैं।

मैं सब प्रकार के ‘विधि निषेध’ से ऊपर हूं (स्वामी विवेकानंद जयन्ती)-

स्वामी विवेकानंद अपनी यात्रा के अगले पड़ाव में 25 अप्रैल 1891 को आबू पहुंचे। यहां पर एक मुसलमान वकील के घर में निवास के कारण खेतड़ी महाराजा अजीत सिंह के निजी सचिव द्वारा मुस्लिम के घर में रहने पर प्रश्न करने पर स्वामी विवेकानंद ने कहा, ‘मैं सन्यासी हूं, आपके सब प्रकार के विधि निषेध से ऊपर हूं, मैं भंगी के साथ भी भोजन कर सकता हूं। इससे भगवान के प्रसन्न ना होने का मुझे भय नहीं है क्योंकि यह शास्त्र द्वारा अनुमोदित है। इस प्रसंग का उल्लेख ‘राजस्थान में स्वामी विवेकानंद’ पुस्तक में मिलता है। स्वामीजी की इस बात यह भी स्पष्ट होता है वे सामाजिक समरसता के प्रबल पक्षधर थे।

(स्वामी विवेकानंद जयन्ती )पत्र में लिखा ‘मेरे अध्यापक’—

आबू में 4 जून 1891 को स्वामी विवेकानंद की भेंट खेतड़ी महाराजा अजित सिंह से हुईं। 07 अगस्त को स्वामीजी खेतड़ी पहुंचे, जहां उन्होंने लगभग पांच माह का प्रवास किया। खेतड़ी के राजपंडित नारायणदास व्याकरण के ज्ञाता थे। उनसे स्वामीजी ने ‘अष्टाध्यायी’ और ‘महाभाष्य’ का अध्ययन किया।

विवेकानंद ने अमेरिका से एक पत्र लिखते समय नारायण दास के लिए ‘मेरे अध्यापक’ संबोधन का प्रयोग किया। विवेकानंद ने राजा अजीत सिंहजी को पदार्थ विज्ञान का अध्ययन भी करवाया। तथा खेतड़ी में एक लैबोरेट्री स्थापित करवाई, महल की छत पर टेलीस्कोप लगाया गया, जिससे तारामंडल का अध्ययन हो सके।

(स्वामी विवेकानंद जयन्ती )जब अपनाया ‘विविदिषानन्द से विवेकानंद’ नाम—

स्वामी जी अपना नाम विविदिषानन्द लिखा करते थे। राजा अजीत सिंह जी ने एक दिन हंसते हुए कहा, ‘महाराज आपका नाम बड़ा कठिन है, बिना अटके साधारण लोगों की समझ में इसका मतलब नहीं आ सकता। इसके अतिरिक्त अब तो आपका विविदिषा यानी ‘जानने की इच्छा’ का काल भी समाप्त हो चुका है।’ तब ‘मेरी समझ से आपके योग्य नाम है ‘विवेकानंद’..। उसी दिन से स्वामी जी ने अपना नाम विवेकानंद मान लिया।

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(स्वामी विवेकानंद जयन्ती) मिसाल ‘मित्रता’ की—

वर्ष 1893 में शिकागो में होने वाले ‘धर्म सम्मेलन’ में जाने के लिए खेतड़ी महाराजा अजित सिंह ने विवेकानंद के लिए सभी जरूरी प्रबंध करवाए थे। इस पर विवेकानंद ने कहा था, ‘भारतवर्ष की उन्नति के लिए जो थोड़ा बहुत मैंने किया है वह खेतड़ी नरेश के न मिलने से न होता।’

12 दिसंबर 1897 को ‘ब्रह्मवादी’ में दी गई स्वामी सदानंद की रिपोर्ट के आधार पर, स्वामी जी द्वारा लिखित एक पत्र में लिखा है कि, ‘मैं और अजीत सिंह ऐसी दो आत्माएं हैं, जिनका जन्म एक दूसरे को सहायता करने के लिए हुआ है।

हम दोनों एक दूसरे के पूरक और प्रपूरक हैं।’ जब अमेरिका से विवेकानंद लौटे तक महाराज अजीत सिंह के आग्रह पर उनका पुन: राजस्थान आना निश्चित हुआ। इस दौरान वे अलवर में करीब छह दिन के प्रवास के बाद जयपुर में खेतड़ी हाउस में रहे।

पुन: खेतड़ी आगमन पर लोगों ने जलाए दीपक—
राजस्थान में विवेकानंद पुस्तक की पृष्ठ संख्या 121 में इस बात का उल्लेख मिलता है कि, ‘स्वामी जी का इस बार खेतड़ी आना किसी उत्सव से कम नहीं था। वहां के लोगों में एक अलग ही उत्साह था। खेतड़ी में चारों ओर रोशनी की गई।

तालाब की पेडियों पर, लोरिया घाटी में, घर के दरवाजों के आगे दीपक जलाए गए, भोपालगढ़ पर रोशनी की गई। स्वामी जी 23 दिसंबर 1897 में जयपुर के 10 दिन प्रवास के बाद 1 जनवरी को किशनगढ़ होते हुए जोधपुर गए। राजस्थान यात्राओं के दौरान वे पुष्कर भी गए।

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स्वामी विवेकानंद जयन्ती

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1. Sanatan Dharam Ka Apman

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सनातन का अपमान करने वालो पर हो कठोर कार्यवाही

Sanatan Dharam Ka Apman

जयपुर, 8 सितम्बर।सनातन धर्म के बारे तमिलनाडु के खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन द्वारा दिए गए अपमानजनक बयान के विरोध में आज शहर के गणमान्य व्यक्तियो ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा।https://fitnesswellness2.com/

राष्ट्रपति के नाम संबोधित इस ज्ञापन द्वारा सनातन के विरुद्ध की गई आपत्तिजनक बयानबाजी को समाज में विद्वेष फैलाने वाला बताया । मेजर जनरल अनुज माथुर ने बताया कि भारतवासियो की भावनाओ को आहत करने का सुनियोजित षड्यंत्र हो रहे है।

ऐसा लगता है कि भारत को कमजोर करने की साजिश की जा रही है। ज्ञापन में राष्ट्रपति से मांग की है की उदयनिधि का बयान राष्ट्र हित के लिए घातक है अतः मामले में हस्तक्षेप कर कठोर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करवाए।

Sanatan Dharam Ka Apman

उल्लेखनीय है कि डीएमके नेता उदयनिधि ने सनातन को डेंगू, मलेरिया, कोरोना जैसा बताते हुए इसके उन्मूलन की बात कही थी। जिससे देश भर में सनातन में आस्था रखने वालो में नाराजगी है। डीएमके I.N.D.I.A. गठबंधन में शामिल है।https://www.youtube.com/channel/UCXCLWxrPi94ULj1IxEdvBhg

ज्ञापन देने वालो में सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस, सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी, एक्स वीसी एवं सेवानिवृत्त न्यायाधीश सम्मिलित थे। ले. जनरल विश्म्भर सिंह, पूर्व न्यायाधीश प्रशान्त अग्रवाल पूर्व आईएएस ललित के पंवार , से.नि. आईजी मदनसिंह राठौड़, से.नि. कर्नल देवानंद लोहमरोड़ सहित 63 गणमान्य नागरिको ने ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। जिसमें सेवानिवृत्त ले. जनरल कर्नल, ब्रिगेडियर भी सम्मिलित थे।

पूर्व कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सहित कई सेवानिवृत्त उच्च अधिकारियो ने इस ज्ञापन के माध्यम से सनातन के अपमान पर आपत्ति दर्ज करवाई और विधिक प्रक्रिया के द्वारा कठोर कार्रवाई की मांग रखी है।

Sanatan Dharam Ka Apman

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1 सामाजिक एकजुटता का महाप्रदर्शन

सामाजिक एकजुटता का महाप्रदर्शन

सामाजिक एकजुटता का महाप्रदर्शन

तुष्टिकरण के खिलाफ बड़ी चौपड़ पर सामाजिक एकजुटता का महाप्रदर्शन

सामाजिक एकजुटता का महाप्रदर्शन

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सामाजिक एकजुटता का महाप्रदर्शन

जयपुर, 4 अक्टूबर। दुर्घटना को सांप्रदायिक रंग देने और असामाजिक तत्वों द्वारा चारदीवारी के बाजारों में लूटपाट के विरोध में जयपुर बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले सर्व हिन्दू समाज ने संतों की अगुवाई में बुधवार को बड़ी चौपड़ पर महाधरना दिया। इसमें हजारों की संख्या में हिन्दू समाज के लोगों ने तेज धूप के बावजूद सडक़ों पर बैठकर शांतिपूर्वक धरना दिया। हमारे यूट्यूब चैनल भी देखे https://www.youtube.com/watch?v=93fYwX-FTFo&t=306s

भगवा ध्वज और तिरंगा झंडा लहराते हुए लोगों के समूह कार्यक्रम शुरू होने से पूर्व ही बड़ी चौपड़ की ओर बढऩे लगे। धरने में शामिल लोग तुष्टिकरण बंद करो, आंतकियों को बाहर भगाओ, आवाज दो हम एक है, छोटीकाशी की पहचान सौहार्द, संस्कृति और नारी सम्मान लिखी तख्तियां लेकर पहुंचे। भारत माता और जय श्रीराम के नारों ने माहौल में जोश बनाए रखा।

कार्यक्रम का शुभारंभ संतों के उद्बोधन और देशभक्ति गीतों के साथ हुआ। मंच से पीड़ित परिवार की आर्थिक सहायता करने और विधिक मदद उपलब्ध करवाने की घोषणा के साथ चेतावनी दी गई कि सात दिन में बाजारों में उपद्रव मचाने वाले और सड़क दुर्घटना को मॉब लिचिंग का रूप देने वालों को गिरफ्तार नहीं किया गया तो पूरे जयपुर बंद का आह्वान किया जाएगा।

मुख्य वक्ता समाजसेवी हेमंत सेठिया ने कहा कि जयपुर में हमेशा से सामाजिक सौहार्द का वातावरण रहा है। सभी समुदाय और वर्ग सदियों से मिल जुल कर रहते आए हैं। लेकिन दूसरे शहरों और राज्यों से लोग आकर यहां का माहौल बिगाड़ रहे है।

भारत की संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम और सर्वे भवंतु सुखिन: की रही है। यहां सर से तन जुदा और खून का बदला खून का कट्टरपन सहन नहीं किया जाएगा। मुस्लिम समुदाय के प्रबुद्ध लोग ऐसे लोगों को सही राह दिखाए, उन्हें संस्कारित करें, किसी के बहकावे में आकर गुंडागर्दी पर उतारू नहीं हो। यह किसी के भी लिए अच्छा नहीं है, शांति और सौहार्द्र सभी समुदायों और समाजों की सामूहिक जिम्मेदारी है।

सामाजिक एकजुटता का महाप्रदर्शन

जयपुर व्यापार महासंघ के अध्यक्ष सुभाष गोयल ने कहा कि व्यापारी समाज कमजोर नहीं है।मुस्लीम समुदाय के समूहो में आपसी झगड़े के बाद दूसरे दिन पुरोहित जी के कटले और दड़ा बाजार को जबरन बंद करवाने, सामान फैंकने की घटना में लिप्त लोगों को गिरफ्तार कर सजा नहीं दी गई तो पूरे जयपुर को बंद किया जाएगा। हमारे वेबसाइट एड्रेस है https://fitnesswellness2.com/

सामाजिक एकजुटता का महाप्रदर्शन

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हम यह भी जानते है कि एक घंटे भी बाजार बंद रहता है तो अरबों रूपए के राजस्व का नुकसान होता है लेकिन अपने अस्तित्व के लिए ऐसा करना हमारी मजबूरी है।

गुर्जर समाज के देवनारायण गुर्जर ने कहा कि समाज के वातावरण को खराब करने वाले और ऐसे तत्वों को संरक्षण देने वाले लोगों को सबक सिखाना होगा। भारत के टुकड़े करने और सनातन का विरोध करने वालों का अस्तित्व मिटाना होगा।

वाल्मीकि समाज के मनोज चांवरिया ने कहा कि आज प्रशासन और हिंदुओं और समुदाय विशेष में भेदभाव बरत रहा है। हिंदुओं के त्योहार मनाने पर अंकुश लगाया जा रहा है।

इन्होंने भी किया संबोधित:
सिख समाज के सरदार जसवीर सिंह, मातृशक्ति से मंजू वैष्णव, जयपुर व्यापार महासंघ के अध्यक्ष सुभाष गोयल, रावणा राजपूत समाज के रणजीत सिंह सोडाला ने भी महाधरने को संबोधित किया। सर्व समाज हिंदू महासभा के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश भाड़ेवाला, सिंधी समाज से चंद्र प्रकाश खेतानी, साहू समाज के श्याम साहू, मेहरा समाज से हनुमान सहाय मेहरा, यादव समाज से मुकेश यादव, श्री राजपूत करणी सेना के प्रताप कालवी, विप्र सेना के अध्यक्ष सुनील तिवाड़ी सहित विभिन्न समाजों से जुड़े लोग अपने समाज के लोगों के साथ महाधरने में शामिल हुए।

सामाजिक एकजुटता का महाप्रदर्शन

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संत समाज का मिला सान्निध्य:
महाधरने में विभिन्न मठ-मंदिरों के संत-महंत-पीठाधीश्वर मंचस्थ थे। कौशल्या दास की बगीची के कानादास महाराज, सांवल दास बगीची के सियाराम दास महाराज, पापड़ के हनुमान जी के रामसेवक दास महाराज, अमरनाथ महाराज, राम कुटिया के कृष्ण दास महाराज, हाथोज के दक्षिणमुखी बालाजी मंदिर के स्वामी बालमुकुंदाचार्य महाराज, सरना डूंगर के परशुराम दास महाराज, बाल व्यास महाराज, आचार्य भावनाथ, मनीष दास, साध्वी समदर्शी के अलावा गीता गायत्री मंदिर के पंडित राजकुमार चतुर्वेदी, सरस निकुुंज के प्रवक्ता प्रवीण बड़े भैया काले हनुमान मंदिर के योगेश शर्मा सहित अनेक संत-महंत उपस्थित रहे।

सामाजिक एकजुटता का महाप्रदर्शन

सामाजिक एकजुटता का महाप्रदर्शन

सरकार के समक्ष रखी ये मांगें:
1. दुर्घटना के बाद वीडियो में हरे कपड़े में एक युवक खुद को मंसूरी बताते हुए दिख रहा है। उसी व्यक्ति ने इकबाल की हथियार से हत्या की है, उसे गिरफ्तार किया जाए।

2. हिंदू युवक गुंडा तत्वों से आत्मरक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हंै। उन पर हत्या की धारा हटाकर आत्म रक्षा की धारा लगाई जाए।

3. संपूर्ण मामले की निष्पक्ष जांच कर आठ निर्दोष लोगों को रिहा किया जाए।

4. इस प्रकरण में दो जनप्रतिनिधियों की संलीप्तता की जांच हो।

5. इकबाल के परिजनों को मॉब लिचिंग के नाम पर पचास लाख का मुआवजा दिया गया जबकि यह सत्य नहीं है। जांच रिपोर्ट नहीं आने तक या तो मुआवजा राशि वापस ली जाए या दुर्घटना और मॉब लिचिंग में मारे गए हिंदुओं के परिजनों को भी पचास लाख रूपए दिए जाए।

6. जयपुर से बाहर आकर फुटकर व्यवसाय कर रहे थड़ी-ठेला वालों, ई रिक्शाचालकों के बैकराउंड की जांच करते हुए पहचान पत्र जारी किए जाए।

7. शहर में रात्रि साढ़े दस बजे के बाद समूह में बैठने, तेज गति से बाइक चलाकर भय का माहौल बनाने वालों से जुड़ी सख्त गाइडलाइन बनाकर पालना करवाई जाए।

सामाजिक एकजुटता का महाप्रदर्शन

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Pandit Deendayal Upadhyay : Biography (1)

Pandit Deendayal Upadhyay Biography (1)

पंडित दीन दयाल उपाध्याय : जीवनी

Pandit Deendayal Upadhyay Biography (1)

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पंडित दीन दयाल उपाध्याय :बचपन

पण्डित दीनदयाल उपाध्याय का व्यक्तित्व बहुआयामी था। वे सामान्य व्यक्ति,सक्रिय कार्यकर्ता कुशल संगठक,प्रभावी नेता और मौलिक विचारक थे,साथ ही वे समाजशास्त्री,अर्थशास्त्री,राजनीति विज्ञानी और दार्शनिक भी थे।

पण्डित दीनदयाल जी का जन्म 25 सितंबर 1916 को जयपुर जिले के धानक्या गांव में हुआ। उनके पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय व माता जी का नाम रामप्यारी था। पण्डित दीनदयाल जी के पिताजी रेलवे में जलेसर स्टेशन पर सहायक स्टेशन मास्टर थे।

पण्डित दीनदयाल जी के छोटे भाई का नाम शिवदयाल था।  उस समय उनके नाना चुन्नी लाल शुक्ल धानक्या,जयपुर में स्टेशन मास्टर थे।  दीनदयाल जी की माता श्रीमति रामप्यारी जी को अधिकांश समय अपने पिता चुन्नीलाल जी के पास रहना होता था।

दीनदयाल जी का शिशुकाल अपने नाना जी चुन्नीलाल जी के धानक्या रेलवे-स्टेशन के क्वार्टर में ही व्यतित हुआ।  यहीं पर उनके शिशुकाल की संस्कार सृष्टि पल्लवित हुई।  पण्डित दीनदयाल जी ने चलना-फिरना व बोलना धानक्या में ही अपने नानाजी के यहां पर सीखा।

दीनदयाल जी ने अक्षरज्ञान व प्रारम्भिक शिक्षा अपने नाना चुन्नीलाल जी के रेलवे क्वार्टर पर ही प्राप्त की।

दीनदयाल जी जब 3 वर्ष के थे तब उनके पिता जी का देहांत हो गया।  तत्पश्चात, माता रामप्यारी जी को क्षय रोग हो गया और 8 अगस्त 1924 को उनका देहावसान हो गया था।

दीनदयाल जी धानक्या में उनके नाना  चुन्नीलाल जी के 1924 में सेवानिवृत्त होने तक यहां रहे।  तत्पश्चात वे मामा श्री राधारमण जी के साथ रहने लगे।  दीनदयाल जी को सबसे पहले गंगापुर सिटी, सवाई माधोपुर के रेलवे विद्यालय में 1 फरवरी 1924 को प्रिपरेयरी – बी कक्षा में भर्ती कराया।  थोड़े दिन बाद राधारमण जी का वहां से कोटा स्थानांतरण हो गया ।

दीनदयाल जी उनके साथ कोटा में अध्ययन हेतु चले गए।  वे अपने चचेरे मामा नारायणलाल जी के साथ राजगढ़ ( अलवर) उच्च प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने गए।  दीनदयाल जी के मामा नारायण लाल जी का स्थानांतरण राजगढ़ से सीकर हो गया।

उन्होंने सीकर में 1935 में दसवीं की परीक्षा श्री कल्याण हाई स्कूल में पढ़कर अजमेर बोर्ड से दी और अजमेर बोर्ड में सर्वोच्च अंक प्राप्त कर स्वर्ण पदक प्राप्त किया।  उन्होंने संस्कृत,गणित और भूगोल में विशेष योग्यता के अंक प्राप्त किए।

सीकर के महाराजा श्री कल्याण सिंह जी ने दीनदयाल जी को स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया।  उन्होंने दीनदयाल जी को 250 रुपये का पुरस्कार और 10 रुपये मासिक छात्रवृत्ति भी स्वीकृत की।

तत्पश्चात, दीनदयाल जी इन्टरमीडियट की पढाई के लिए पिलानी गए जहां बिरला इन्टर कॉलेज से इन्टरमीडियट की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की और स्वर्ण पदक प्राप्त किया।

पं.दीनदयाल उपाध्याय: उच्च शिक्षा  Pandit Deendayal Upadhyay : Biography (1)

सेठ घनश्याम दास जी बिरला ने उन्हें स्वर्ण पदक प्रदान कर सम्मानित किया। पण्डित दीनदयाल जी का 1916 से 1939 तक का लगभग 23 वर्ष की आयु तक का जीवन राजस्थान में व्यतित हुआ।

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आगे की उच्च शिक्षा के लिए वे कानपुर चले गए।  कानपुर में उनका सम्पर्क नाना जी देशमुख, सुंदर सिंह भण्डारी से हुआ। श्री भाऊराव जी देवरस के सम्पर्क में आने पर वे 1942 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बन गए।  तत्पश्चात,दीनदयाल जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बन गए।

सन 1952 में अखिल भारतीय जनसंघ का गठन होने पर वे संगठन मंत्री बनाये गये। दो वर्ष बाद सन 1953 में वे अखिल भारतीय जनसंघ के महामंत्री निर्वाचित हुए। उस समय डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी जनसंघ के अध्यक्ष थे।

दीनदयाल जी अपना दायित्व इतनी कुशलता से व सतर्कता से निभाया कि डॉ मुखर्जी ने उनके बारे में टिप्पणी की ” यदि मुझे दीनदयाल मिल जाए तो मैं देश का राजनीतिक नक्शा बदल दूँगा। ”

Pandit Deendayal Upadhyay Biography (1)

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75th Year of The Student Movement Dedicated to Indianness ABVP

75th Year of The Student Movement Dedicated to Indianness ABVP

अभाविप: भारतीयता को समर्पित छात्र आंदोलन का 75 वॉं वर्ष‌।

आशुतोष सिंह
राष्ट्रीय मीडिया संयोजक
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद

भारतीयता को समर्पित छात्र आंदोलन का 75 वॉं वर्ष‌ ABVP

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ABVP

75th Year of The Student Movement Dedicated to Indianness ABVP

75th Year of The Student Movement Dedicated to Indianness ABVP

75th Year of The Student Movement Dedicated to Indianness ABVP

भारतीयता के उदात्त विचार को समर्पित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ABVP की ऐतिहासिक संगठनात्मक यात्रा आज 9 जुलाई को अपने 75वें वर्ष में प्रवेश कर रही है, यह यात्रा 9 जुलाई 1949 को देश की स्वतंत्रता के उपरांत राष्ट्र पुनर्निर्माण तथा समर्थ व सबल युवा पीढ़ी गढ़ने का श्रेष्ठ लक्ष्य लिए आरंभ हुई थी।

किसी भी संगठन के लिए 75वें वर्ष तक पहुंचना गौरवशाली, महत्वपूर्ण तथा उत्सव का अवसर होता है, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की संगठनात्मक यात्रा में यह अवसर ऐसे समय आया है जब देश की स्वतंत्रता का अमृतकाल चल रहा है। देश की विकास यात्रा के साथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की यात्रा राष्ट्र समर्पित सक्षम युवा पीढ़ी के निर्माण की रही है।

 

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का स्वरूप अपने 75वें वर्ष में विस्तृत तथा बहुआयामी हो गया है। पिछले सत्र में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की कुल सदस्यता 45 लाख से अधिक रही है तथा देशभर में 21 हजार से अधिक स्थानों पर अभाविप की इकाईयां व संपर्क स्थान हैं, यह केवल एक आंकड़ा मात्र नहीं है बल्कि यह विद्यार्थी परिषद के अखिल भारतीय स्वरूप को स्पष्टतया सामने लाने के साथ वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े छात्र संगठन होने की बात को सिद्ध करता है‌।

विगत 74 वर्षों से शिक्षा क्षेत्र के विविध विषयों पर कार्यरत अभाविप की सकारात्मक शक्ति ने भारतीय शैक्षणिक परिसरों से राजनीति, सिनेमा, मीडिया, व्यापार,शिक्षा, प्रशासन आदि क्षेत्रों को प्रभावशाली युवा नेतृत्व दिया है, इन विविध क्षेत्रों में आज कई ऐसी नामचीन हस्तियां हैं जो अपने विद्यार्थी जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से सक्रिय रूप से सम्बद्ध रही है।

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देश में आपातकाल जैसे बड़े संकट के विरुद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद  ABVPकी महत्वपूर्ण भूमिका व योगदान के साथ-साथ लघु स्तर से लेकर वृहद स्तरीय ऐसे अनेक उदाहरण मिलते हैं, जब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेतृत्व में देश के युवा वर्ग ने सकारात्मक परिवर्तन निमित्त महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अभाविप ABVP के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रहे व वर्तमान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर अभाविप के संकल्प निमित्त लिखते हैं-भारत हमारी मां है, हम पुत्र की भांति सभी देशवासियों की सेवा करेंगे, इस संकल्प के साथ विद्यार्थी परिषद की स्थापना हुई थी।… विद्यार्थी परिषद का कार्यक्षेत्र भले ही शैक्षिक परिसर अर्थात कैंपस है, परंतु विचार का क्षेत्र शिक्षा से आगे बढ़कर देशहित के हर मुद्दे के साथ भी सम्बद्ध है।

 

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75th Year of The Student Movement Dedicated to Indianness ABVP

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की यात्रा भारतीय मूल्यों से अनुप्राणित राष्ट्रप्रेमी युवाओं की समर्थ पीढ़ी के निर्माण की यात्रा रही है। कोरोना महामारी के दौरान जब देश पर संकट था तब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेतृत्व में अनेक युवाओं ने लोगों की पीड़ाओं को कम करने के लिए उल्लेखनीय कार्य किया, यह हाल का उदाहरण है, ऐसे कितने ही अवसर रहे हैं जब देश में अभाविप के नेतृत्व में युवाओं का समूह विभिन्न समस्याओं के समाधान के निमित्त सबसे पहले आगे आया।

वर्तमान में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद शिक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण हितधारक के रूप में अपनी भूमिका निर्वहन कर रही है जिससे देश के शिक्षा क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन आ सकें।

आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की विभिन्न शाखाएं पर्यावरण, सेवा,खेल आदि क्षेत्रों में भी कार्यरत हैं तथा युवाओं को इन विषयों से सम्बद्ध कर समाज में सार्थक परिवर्तन लाने का कार्य कर रही हैं।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने सतत् नवीन विषयों तथा क्षेत्रों से अपनी यात्रा को सम्बद्ध किया है,इस कारण 75वें वर्ष में पहुंची यह यात्रा कहीं भी बोझिल या रूकी होने के स्थान पर सतत् गतिशील तथा नवीन क्षेत्रों में संलग्न दिखती है।

75th Year of The Student Movement Dedicated to Indianness ABVP

एक ओर बाकी छात्र संगठन जहां सीमित क्षेत्रों में छिटपुट आंदोलनों तक ही सीमित हैं, वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की यात्रा केवल आंदोलन तक सीमित न रह, अनुशासनात्मक रचनात्मकता से युवाओं को विश्व तथा राष्ट्र से सम्बंधित विभिन्न विषयों से जोड़ उन्हें भारतीय मूल्यों के अनुरूप निरंतर गतिशील रह बेहतर करने की प्रेरणा दे रही है।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की अनुशासनयुक्त, भारतीयता केन्द्रित विचार पथ पर गतिशीलता की यह यात्रा निरंतर प्रवाहमान रहेगी जिससे आने वाली पीढ़ियां नई चुनौतियों का सामना कर देश के पुनर्निर्माण का स्वप्न पूर्ण कर सकें और सक्षम नागरिक के रूप में भारतीय युवा प्रत्येक क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्वकारी भूमिका निभाएं। राष्ट्रीय विद्यार्थी दिवस पर सभी देशवासियों को शुभकामनाएं।

75th Year of The Student Movement Dedicated to Indianness ABVP

( लेखक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मीडिया संयोजक हैं।)

75th Year of The Student Movement Dedicated to Indianness ABVP

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