सत्यं रूपं श्रुतं विद्या
सत्यं रूपं श्रुतं विद्या , कौल्यं शीलं बलं धनं।
शौर्य च चित्रभाष्यं च दशेमे स्वर्गयोनय : ।।
भावार्थ : विदुर ने धृतराष्ट्र से कहा – राजन ! सत्य, विनय की मुद्रा, शस्त्रज्ञान, विद्या कुलीनता , शील, बल, धन, शूरता, और चमत्कारपूर्ण बात कहना – ये दस स्वर्ग के हेतु है ।
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