मेरी ईमानदारी मेरा स्वाभिमान Honesty and Selfrespect

मेरी ईमानदारी मेरा स्वाभिमान (सत्य , निष्ठा , चरित्र, सच्चाई, विश्वास)
एक बार बाजार में चहलकदमी करते एक व्यापारी को व्यापार के लिए एक अच्छी नस्ल का ऊँट नज़र आया।( मेरी ईमानदारी मेरा स्वाभिमान Honesty and Selfrespect )
व्यापारी और ऊँट बेचने वाले ने वार्ता कर, एक कठिन सौदेबाजी की। ऊँट विक्रेता ने अपने ऊँट को बहुत अच्छी कीमत में बेचने के लिए, अपने कौशल का प्रयोग कर के व्यापारी को सौदे के लिए राजी कर लिया। वहीं दूसरी ओर व्यापारी भी अपने नए ऊँट के अच्छे सौदे से खुश था। व्यापारी अपने पशुधन के बेड़े में एक नए सदस्य को शामिल करने के लिए उस ऊँट के साथ गर्व से अपने घर चला गया।

मेरी ईमानदारी मेरा स्वाभिमान
घर पहुँचने पर, व्यापारी ने अपने नौकर को ऊँट की काठी निकालने में मदद करने के लिए बुलाया। भारी गद्देदार काठी को नौकर के लिए अपने बलबूते पर ठीक करना बहुत मुश्किल हो रहा था।
काठी के नीचे नौकर को एक छोटी मखमली थैली मिली, जिसे खोलने पर पता चला कि वह कीमती गहनों से भरी हुई है।
नौकर अति उत्साहित होकर बोला, “मालिक आपने तो केवल एक ऊँट ख़रीदा। लेकिन देखिए इसके साथ क्या मुफ़्त आया है?”
अपने नौकर के हाथों में रखे गहनों को देखकर व्यापारी चकित रह गया। वे गहने असाधारण गुणवत्ता के थे, जो धूप में जगमगा और टिमटिमा रहे थे।
व्यापारी ने कहा, “मैंने ऊँट खरीदा है,” गहने नहीं! मुझे इन जेवर को ऊँट बेचने वाले को तुरंत लौटा देना चाहिए।”
नौकर हतप्रभ सा सोच रहा था कि उसका स्वामी सचमुच मूर्ख है! वो बोला, “मालिक! इन गहनों के बारे में किसी को पता नहीं चलेगा।”

मेरी ईमानदारी मेरा स्वाभिमान
फिर भी, व्यापारी वापस बाजार में गया और वो मखमली थैली ऊँट बेचने वाले को वापस लौटा दी।
ऊँट बेचने वाला बहुत खुश हुआ और बोला, “मैं भूल गया था कि मैंने इन गहनों को सुरक्षित रखने के लिए ऊँट की काठी में छिपा दिया था। आप, पुरस्कार के रूप में अपने लिए कोई भी रत्न चुन सकते हैं।”
व्यापारी ने कहा “मैंने केवल ऊँट का सौदा किया है, इन गहनों का नहीं। धन्यवाद, मुझे किसी पुरस्कार की आवश्यकता नहीं है।” ( मेरी ईमानदारी मेरा स्वाभिमान Honesty and Selfrespect )
व्यापारी ने बार बार इनाम के लिए मना किया, लेकिन ऊँट बेचने वाला बार बार इनाम लेने पर जोर डालता रहा।
अंत में व्यापारी ने झिझकते और मुस्कुराते हुए कहा, “असल में जब मैंने थैली वापस आपके पास लाने का फैसला किया था, तो मैंने पहले ही दो सबसे कीमती गहने लेकर, उन्हें अपने पास रख लिया।”

मेरी ईमानदारी मेरा स्वाभिमान
इस स्वीकारोक्ति पर ऊँट विक्रेता थोड़ा स्तब्ध था और उसने झट से गहने गिनने के लिए थैली खाली कर दी।
वह बहुत आश्चर्यचकित होकर बोला “मेरे सारे गहने तो इस थैली में हैं! तो फिर आपने कौन से गहने रखे ?
“दो सबसे कीमती वाले” व्यापारी ने जवाब दिया।
“मेरी ईमानदारी और मेरा स्वाभिमान”
आप एक छोटे बच्चे को सत्यनिष्ठा कैसे सिखाएँगे?
रोजर जेनकिंस ने इसे इस रूप में समझाया है, “सही काम करने की क्षमता या सही काम करने का चयन करने की क्षमता, आपको गलत काम करने से दूर रख सकती हैं।”
“इंसान के मन की संतुलित दशा उसके द्वारा विभिन्न परिस्थितियों में की गई सारी गतिविधियों में उसके सही मनोभाव की अभिव्यक्ति है। एक व्यापक अर्थ में, यह उसके चरित्र का प्रतिबिम्ब है।” चरित्र ही एक ऐसा अनमोल रतन है जिससे हम जिन्दीभार अपनों के बीच अपने स्वाभिमान के साथ जीवन जी सकते ही अगर हमारा चरित्र सही नहीं है तो हमारे पास करोड़ो की सम्पति होते हुए भी हम इज्जत के साथ जिंदगी नहीं जी सकते है,
चाहते तो व्यापारी उस गहने को अपने पास रख सकते थे लेकिन उनका स्वाभिमान इस बात की इज्जाजत नहीं दिया, सबसे पहला रतन ईमानदारी की और फिर स्वाभिमान की, लोभ करने से ईमानदारी तो जावेगी ही साथ में स्वाभिमान तो रहेगी भी नहीं।
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