गुरु पूर्णिमा अमृत वचन

गुरु पूर्णिमा अमृत वचन
हम जिस गुरु की पूजा करते है उसके गुणों को भी अपने अंदर लाना चाहिए । यदि उन गुणों को जीवन में नहीं लायेंगे तो कर्त्तव्य पूर्ति नहीं होगी। जो अपने गुरु के साथ अधिक से अधिक एकात्म और एकरूप होता है, वही उसकी पूजा कर सकेगा अन्य कोई नहीं । जिस आदर्श की पूजा करने हेतु एकत्र हुए है उसका निर्देशित जीवन अपने अंदर उत्पन्न करने का प्रयास करना चाहिए । तभी हम जिस आदर्श व उद्देश्य को लेकर चल रहे है उसे आगे बढ़ा सकेगें। – परम पूजनीय श्री गुरूजी गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा
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